रुके रुके से कदम, रुक के बार बार चले - The Indic Lyrics Database

रुके रुके से कदम, रुक के बार बार चले

गीतकार - गुलजार | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - मौसम | वर्ष - 1975

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रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
करार ले के तेरे दर से, बेकरार चले
सुबह ना आई, कई बार नींद से जागे
थी एक रात की ये ज़िन्दगी, गुज़ार चले
उठाए फिरते थे एहसान दिल का सीने पर
ले तेरे कदमों में ये कर्ज़ भी उतार चले