रुक जाना नहीं तू कहीं हार के - The Indic Lyrics Database

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - इम्तिहान | वर्ष - 1974

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रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
कांटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही
नैन आंसू जो लिये हैं, ये राहों के दिये हैं
लोगों को उनका सब कुछ देके
तू तो चला था सपने ही लेके
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के
सूरज देख रुक गया है, तेरे आगे झुक गया है
जब कभी ऐसे कोई मस्ताना
निकले है अपनी धुन में दीवाना
शाम सुहानी बन जाते हैं दिन इंतजार के
साथी ना कारवाँ है, ये तेरा इम्तिहान है
यूँ ही चला चल दिल के सहारे
करती है मंजिल तुझ को इशारे
देख कहीं कोई रोक नहीं ले तुझको पुकार के