आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ - The Indic Lyrics Database

आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता - रफी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - प्रोफ़ेसर | वर्ष - 1962

View in Roman

आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ
मोहब्बत में इतना न हमको सताओ
अभी तो मेरी ज़िन्दगी है परेशां
कहीं मर के हो ख़ाक भी ना परेशां
दीये की तरह से न हमको जलाओ
मैं साँसों के हर तार में छूप रहा हूँ
मैं धड़कन के हर राग में बस रहा हूँ
ज़रा दिल की जानिब निगाहें झुकाओ
न होंगे अगर हम तो रोते रहोगे
सदा दिल का दामन भिगोते रहोगे
जो तुम पर मिटा हो उसे ना मिटाओ