रिश्ते बनते हैं बड़े धिरे से बनाने देते - The Indic Lyrics Database

रिश्ते बनते हैं बड़े धिरे से बनाने देते

गीतकार - गुलजार | गायक - आशा भोंसले | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - दिल पडोसी है (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1987

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रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे-से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख़ पे पकने देते
ओ रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे-से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख़ पे पकने देते
( पकने देते
ओ रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे-से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख़ पे पकने देते ) -२एक चिंगारी का उड़ना था कि पर काट दिये
हो एक चिंगारी का उड़ना था कि पर काट दिये
ओ आँच आयी थी ज़रा आग तो जलने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख़ पे पकने देतेएक ही लम्हे पे इक साथ गिरे थे दोनों
हो एक ही लम्हे पे इक साथ गिरे थे दोनों
ओ ख़ुद सँभलते या ज़रा मुझको सँभलने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख़ पे पकने देते
पकने देते
ओ रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे-से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख़ पे पकने देते
पकने देते