आसमां पे है ख़ुदा और ज़मीं पे हम - The Indic Lyrics Database

आसमां पे है ख़ुदा और ज़मीं पे हम

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मुकेश | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - फ़िर सुबह होगी | वर्ष - 1958

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आसमां पे है ख़ुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वह इस तरफ़ देखता है कम
आजकल किसी को वह टोकता नहीं
चाहे कुछ भी कीजिए रोकता नहीं
हो रही है लूटमार फट रहे हैं बम
आसमां पे है ख़ुदा और ज़मीं पे हम
किसीको भेजे वह यहां ख़ाक छानने
इस तमाम भीड का हाल जानने
आदमी है अनगिनत देवता है कम
आसमां पे है ख़ुदा और जमीं पे हम
इतनी दूर से अगर देखता भी हो
तेरे मेरे वास्ते क्या करेगा वो
ज़िंदगी है अपने- अपने बाज़ुओं का दम
आसमां पे है ख़ुदा और ज़मीं पे हम