देखो मौसम, क्या बहार है - The Indic Lyrics Database

देखो मौसम, क्या बहार है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मुकेश - लता मंगेशकर | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - ओपेरा हाउस | वर्ष - 1961

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देखो मौसम, क्या बहार है
सारा आलम, बेकरार है
ऐसे में क्यों हम, दीवाने हो जाये ना
छलकी छलकी, चाँदनी भी है
हल्की हल्की, बेखुदी भी है
ऐसे में क्यों हम, यहीं पर खो जाये ना
ठंडी ठंडी रेत में जलवों की बरसात है
क्या मस्ताना है समा क्या मतवाली रात है
सपने बिखरे मोड़ मोड़ पे
ताके नैना जोड़ जोड़ के
ऐसे में क्यों हम, दीवाने हो जाये ना
गाती सी हर सांस में बजती सी शहनाईयाँ
साया दिल पे डालती तारों की परछाईयाँ
झाँके चंदा आसमान से
छेड़े हमको जान जान के
ऐसे में क्यों हम यहीं पर खो जाये ना
दरिया की हर मौज में अरमानों का ज़ोर है
दिलवालों के गीत का हल्का हल्का शोर है
लहरें डोलें झूम झूम के
साहिल का मुँह चूम चूम के
ऐसे में क्यों हम, दीवाने हो जाये ना