एक अकेला इस शहर में, रात में और दोपहर में - The Indic Lyrics Database

एक अकेला इस शहर में, रात में और दोपहर में

गीतकार - गुलजार | गायक - भूपेंद्र | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - घरौंदा | वर्ष - 1977

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एक अकेला इस शहर में
रात में और दोपहर में
आब-ओ-दाना ढूँढता है
आशियाना ढूँढता है
दिन खाली खाली बर्तन है
और रात है जैसे अंधा कुआँ
इन सूनी अंधेरी आँखों में
आँसू की जगह आता है धुआँ
जीने की वजह तो कोई नहीं
मरने का बहाना ढूँढता है
इन उम्र से लंबी सडकों को
मंजिल पे पहुँचते देखा नहीं
बस दौड़ती, फिरती रहती हैं
हमने तो ठहरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में
जाना पहचाना ढूँढता है