रुक जा रात ठहर जा रे चंदा, बीते ना मिलन की बेला - The Indic Lyrics Database

रुक जा रात ठहर जा रे चंदा, बीते ना मिलन की बेला

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - दिल एक मंदिर | वर्ष - 1963

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रुक जा रात ठहर जा रे चँदा, बीते ना मिलन की बेला
आज चाँदनी की नगरी में अरमानों का मेला
पहले मिलन की यादें लेकर आई है ये रात सुहानी
दोहराते हैं फिर ये सितारे, मेरी तुम्हारी प्रेमकहानी
मेरी तुम्हारी प्रेमकहानी
कल का डरना, काल की चिंता, दो तन हैं मन एक हमारे
जीवनसीमा के आगे भी, आऊँगी मैं संग तुम्हारे
आऊँगी मैं संग तुम्हारे