रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी न थी - The Indic Lyrics Database

रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी न थी

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - इम्तिहान | वर्ष - 1974

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रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी, मगर ऐसी न थी
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
डाली में ये किसका हाथ कर इशारे बुलाए मुझे
झूमती चंचल हवा, छू के तन गुदगुदाए मुझे
होले होले, धीरे धीरे कोई गीत मुझको सुनाए
प्रीत मन में जगाए, खुली आँख सपने दिखाए
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
अरमानों का रंग है जहाँ पलकें उठाती हूँ मैं
हँस-हँस के है देखती, जो भी मूरत बनाती हूँ मैं
जैसे कोई मोहे छेड़े, जिस ओर भी जाती हूँ मैं
डगमगाती हूँ मैं, दीवानी हुई जाती हूँ मैं
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया