देखो जी बहार आई, बागों में खिली कलियाँ - The Indic Lyrics Database

देखो जी बहार आई, बागों में खिली कलियाँ

गीतकार - राजेन्द्र कृष्ण | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सी. रामचंद्र | फ़िल्म - आज़ाद | वर्ष - 1955

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देखो जी बहार आई, बागों में खिली कलियाँ
आना है तो आ जाओ, सुनी हैं मेरी गलियाँ
दुनिया से जो डरते हो, ख्वाबों में चले आओ
दो बोल मोहब्बत के तनहाई में कह जाओ
आ जाओ मना लेंगे, सपनों में रंगरलिया
आना है तो आ जाओ सुनी हैं मेरी गलियाँ
हम दिल से तुम्हारे हैं, ये कह भी नहीं सकते
और तुम से जुदा होकर, हम रह भी नहीं सकते
तुम बिन आशाओंकी कैसे खिले कलियाँ
आना है तो आ जाओ सुनी हैं मेरी गलियाँ