आप यूँ फासलों से गुजरते रहे, दिल पे कदमों की आवाज आती रही - The Indic Lyrics Database

आप यूँ फासलों से गुजरते रहे, दिल पे कदमों की आवाज आती रही

गीतकार - जां निसार अख्तर | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - शंकर हुसैन | वर्ष - 1977

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आप यूँ फासलों से गुजरते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आहटों से अंधेरे चमकते रहे
रात आती रही, रात जाती रही
गुनगुनाती रहीं मेरी तनहाईयाँ
दूर बजती रहीं कितनी शहनाईयां
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी को बुलाती रही
कतरा कतरा पिघलता रहा आसमां
रूह की वादियों में ना जाने कहाँ
एक नदी दिलरुबा गीत गाती रही
आपकी गर्म बाहों में खो जायेंगे
आपकी नर्म ज़ानों पे सो जायेंगे
मुद्दतों रात नींदे चुराती रही