तुम से मिलकर ना जाने क्यों और भी कुछ याद आता है - The Indic Lyrics Database

तुम से मिलकर ना जाने क्यों और भी कुछ याद आता है

गीतकार - इन्दीवर | गायक - मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - दुल्हा दुल्हन | वर्ष - 1964

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तुमसे मिलकर ना जाने क्यों
और भी कुछ याद आता है
आज का अपना प्यार नहीं है
जन्मों का ये नाता है
ओ, प्यार की क़ातिल, प्यार की दुश्मन
लाख बनी ये दुनिया दीवानी
ओ, हमने वफ़ा की राह ना छोड़ी
हमने तो अपनी हार न मानी
उस मोड़ से भी हम गुजरे हैं
जिस मोड़ पे सब लूट जाता है
एक तेरे बिना इस दुनिया की ह
र चीज अधूरी लगती है
तुम पास हो कितने, पास मगर
नजदीकी भी दूरी लगती है
प्यार जिन्हें हो जाये उन्हें
कुछ और नज़र कब आता है
मर के भी कभी जो ख़त्म न हो
ये प्यार का वो अफ़फसाना है
तुम भी तो हमारे साथ चलो
तो हमको वहाँ तक जाना है
वो झूम के अपनी धरती से
आकाश जहाँ मिल जाता है
Sad Version
(तू है अमानत उनकी ओ मुन्ने
प्यार का रिश्ता तोड़ गए जो
क्या वो करेंगे तुझसे मोहब्बत
मुझको तड़पता छोड़ गए जो
क्यों प्यार में ऐसा होता है
ये सोच के दिल घबराता है
दिन रात मेरी बेचैनी पर
खामोशी मेरी हँसती रहती
जो तू भी न होता पास मेरे
तनहाई मुझे डसती रहती
सौ बार बहल जाता है ये दिल
एक बार जो तू मुस्काता है )
Kavita Krishnamurthy
(ऐ मेरी माँ एक बार तो बढ़ के
प्यार से अपनी बाहों में ले ले
बरसों ये बचपन ममता को तरसा
आज तो तेरी गोद में खेलें
कैसे बताऊँ प्यार तेरा कितना मुझे तड़पाता है
माँ ओ माँ
मैं तेरे दिल में हूँ के नहीं हूँ
तू तो मेरी नस-नस में बसी है
आँसू हैं तेरे मेरे ही आँसू
तेरी हँसी भी मेरी हँसी है
मैं तेरे दिलका टुकडा हूँ ऐ माँ
माँ ओ माँ, माँ ओ माँ
जान सके तो जान ले मुझको
तेरे ही बाग़ का फूल हूँ मैं
पहचान सके पहचान ले मुझको
माँ ओ माँ
तू आती है जितना पास मेरे पास
दिल और भी खींचता जाता है )