रस्म-ए-उलफ़त किसी सूरत से निभाये न बने - The Indic Lyrics Database

रस्म-ए-उलफ़त किसी सूरत से निभाये न बने

गीतकार - NA | गायक - शमशाद | संगीत - ग़ुलाम हैदर | फ़िल्म - हुमायूं | वर्ष - 1945

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रोना है तो रो चुपकेचुपके

रोना है तो रो चुपकेचुपके

आँसू न बहे आवाज़ न हो

वो देख न ले वो जान न ले

सूरत से तेरी पहचान न ले

अब पोंछ दे आँखों से आँसू

मालूम किसी को राज़ न हो

मजबूर हमें रहना होगा

मरमर के यहाँ जीना होगा

दुखदर्द का साथी दिल है मेरा

इस दिल पे मुझे क्यों नाज़ न हो

रोना है तो रो

जो बात है दिल की दिल में रहे

वो दिल ही क्या जो ग़म न सहे

शिकवा न ज़ुबां पर आने दे

फ़रियाद में भी आवाज़ न हो

रोना है तो रो