तुम से ही तुम से ही - The Indic Lyrics Database

तुम से ही तुम से ही

गीतकार - योगेश | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - प्रीतम | फ़िल्म - अधुरा आदमी | वर्ष - 1982

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ना है यह पाना, ना खोना ही है
तेरा ना होना जाने क्यों होना ही है
तुम से ही दिन होता है, सुरमई शाम आती है
तुम से ही तुम से ही
हर घड़ी साँस आती है, ज़िंदगी कहलाती है
तुम से ही तुम से ही
आँखों में आँखें तेरी, बाहों में बाहें तेरी
मेरा ना मुझ में कुछ रहा ... हुआ क्या ?
बातों में बातें तेरी, रातें सौगातें तेरी
क्यों तेरा सब यह हो गया ...हुआ क्या ?
मैं कहीं भी जाता हूँ, तुमसे ही मिल जाता हूँ
तुम से ही तुम से ही
शोर में खामोशी है, थोड़ी सी बेहोशी है
तुम से ही तुम से ही
आधा सा वादा कभी, आधे से ज्यादा कभी
जी चाहे कर लूँ इस तरह वफ़ा का
छोड़े ना छूटे कभी, तोड़े ना टूटे कभी
जो धागा तुम से जुड़ गया वफ़ा का
में तेरा सरमाया हूँ, जो भी मैं बन पाया हूँ
तुम से ही तुम से ही
रास्ते मिल जाते हैं, मंज़िले मिल जाती हैं
तुम से ही तुम से ही