एक फूल हंस के बाग़ में कलियाँ खिलाये जा - The Indic Lyrics Database

एक फूल हंस के बाग़ में कलियाँ खिलाये जा

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - सहगल | संगीत - खुर्शीद अनवर | फ़िल्म - परवाना | वर्ष - 1947

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जिया बेक़रार है, छाई बहार है

जिया बेक़रार है, छाई बहार है

आजा मोरे बलमा, तेरा इन्तज़ार है

जिया बेक़रार है

ओ , सूरज देखे चँदा देखे सब देखें हम तरसे हो

सब देखें हम तरसे

जैसे बरसे कोई बदरिया वैसे अँखियाँ बरसे

वैसे अँखियाँ बरसे

जिया बेक़रार है

ओ , नैनों से एक तारा टूटे मिट्टी में मिल जाए हो

मिट्टी में मिल जाए

आँसू की बरसात बलमवा दिल में आग लगाए

दिल में आग लगाए

जिया बेक़रार है

ओ , तुझको नज़रें ढूँढ रही हैं मुखड़ा तो दिखला जा हो

मुखड़ा तो दिखला जा

रस्ते पर हूँ आस लगाए

जाने वाले आ जा

जिया बेक़रार है