रैन गयी अब हुआ सवेरा याद तेरी ने घेरा है - The Indic Lyrics Database

रैन गयी अब हुआ सवेरा याद तेरी ने घेरा है

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - सहगल | संगीत - ज्ञान दत्त | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1942

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रोना है बेकार पगली रोना है बेकार

ख़ोश नमेस ओन्ल्य ड़न्जित ड़ोय अस सिन्गेर.

र : रोना है बेकार पगली रोना है बेकार

अपने मन की बात छुपाती

कुछ पूछो और कुछ बतलाती

तेरे ये नयना कह देते हैं

जीत हुई या हार पगली

हुई या हार



अरे शराभी ओ हुशियार

नशे में कर दी ख़ाली बोतल

और दुनिया को कहता पागल

क्यूँ कर मन के गीत सुनायें

क्यूँ कर

क्यूँ कर मन के गीत सुनायें

टूट गया सीतार शराबी

टूट गया सीतार



र : माना के मैं हूँ दीवाना

मगर तुझे भी है पहचाना

दीवाने से दीवाने की

ये कैसी तकरार पगली

ये कैसी तकरार



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हाँहाँ

हाँहाँ हम दोनों दीवाने

गायें पागलपन के गाने

यही नशा पहूँचा देता है

प्रेमी को उस पार शराबी

प्रेमी को उस पार