गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - मंजू | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - रतन | वर्ष - 1944
View in Romanजिन्हें करना था दिल आबाद अपना
जिन्हें करना था दिल आबाद अपना
वो ही चलें आज बरबाद हो कर
जिन्हें थी तलाश मसर्रतों की
लौट चलें हैं आज नाशाद हो कर
आज हुस्न के रंगीं आशियाँ को
ज़ालिम इश्क़ ने लूटा सैयाद हो कर
एक सीने से लगा बरबादियों के
एक ख़ुश है आज आबाद हो कर
एक डोली में बैठी सुहाग लेकर
एक जाती है ज़ेरएज़मीं देखो
कमख़ाब के पहने लिबास इक ने
और एक है ख़ाक़नशीं देखो
जिसकी लाश पे कोई ना रोये आ कर
यही है वो माहएज़बीं देखो
एक टहनी के दोनों हैं फूल लेकिन
एक मुरझाया है एक है ख़ून ? देखो