झूम-झूम के नाच रे मनवा - The Indic Lyrics Database

झूम-झूम के नाच रे मनवा

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - सुरेंद्र नाथी | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - कमल | वर्ष - 1949

View in Roman

जिन रातों में नींद उड़ जाती है, क्या कहर की रातें होती हैं

जिन रातों में नींद उड़ जाती है, क्या कहर की रातें होती हैं

दरवाजों से टकरा जाते हैं, दीवारों से बातें होती हैं

घिरघिर के जो बदल आते हैं और बिन बरसे खुल जाते हैं

आशाओं की झूठी दुनिया में सूखी बरसातें होती है

जब वो नहीं होते पहलू में और लम्बी रातें होती है

याद आके सताती रहती है और दिल से बातें होती हैं

हँसाने में जो आँसू आते हैं, दो तस्वीरें दिखलाते हैं

हर रोज जनाजे उठाते हैं, हर रोज बारातें होती है

हिम्मत किसकी है जो पुछ सके ये आरजुएसौदाई से

क्यूँ साहिब आखिर अकेले में ये किससे बातें होती हैं