रह-रह के तेरा ध्यान रुलाता है क्या करूँ - The Indic Lyrics Database

रह-रह के तेरा ध्यान रुलाता है क्या करूँ

गीतकार - जी एस नेपाली | गायक - सुरैया | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - गजरे | वर्ष - 1948

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रिम झिम रिम झिम रुम झुम रुम झुम

रिम झिम रिम झिम रुम झुम रुम झुम

भीगी भीगी रुत में तुम हम हम तुम

चलते हैं चलते हैं

बजता है जलतरंग पर के छत पे जब

मोतियों जैसा जल बरसाए

बूँदों की ये झड़ी लाई है वो घड़ी

जिसके लिये हम तरसे, हो हो हो रिम झिम रिम झिम

बादल की चादरें ओढ़े हैं वादियां

सारी दिशायें सोई हैं

सपनों के गाओं में भीगी सी छाँव में

दो आत्माएं खोई हैं

आई हैं देखने झीलों के आइने

बालों को खोले घटाएं

राहें धुआँ धुआँ जाएंगे हम कहाँ

आओ यहीं रह जाएं