आदमी मुसाफिर है, आता है जाता है - The Indic Lyrics Database

आदमी मुसाफिर है, आता है जाता है

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता - रफी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - अपनापन | वर्ष - 1977

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आदमी मुसाफ़िर है, आता है, जाता है
आते जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है
झोंका हवा का, पानी का रेला
मेले में रह जाए जो अकेला
फिर वो अकेला ही रह जाता है
कब छोड़ता है ये रोग जी को
दिल भूल जाता है जब किसीको
वो भूलकर भी याद आता है
क्या साथ लाए, क्या तोड़ आए
रस्तें में हम क्या-क्या छोड़ आए
मंज़िल पे जा के याद आता है
जब डोलती है जीवन की नय्या
कोई तो बन जाता है खेवैया
कोई किनारे पे ही डूब जाता है