गुमसुम सा ये जहां, ये रात ये हवा - The Indic Lyrics Database

गुमसुम सा ये जहां, ये रात ये हवा

गीतकार - राजेन्द्र कृष्ण | गायक - गीता दत्त - हेमंत कुमार | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - दुनिया झुकती है | वर्ष - 1960

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गुमसुम सा ये जहां, ये रात ये हवा
एक साथ आज दो दिल धड़केंगे दिलरुबा
देखो वो चाँद बदली की ओट में छुपने लगा
ये नील गगन भी, प्यार के आगे झुकने लगा
कितनी हसीन कितनी शरिर है चाँद की ये अदा
उल्फ़त में चूर, दुनिया से दूर हम आ ही गये
मंज़िल के पास अब तो हुजूर हम आ ही गये
चाहत के फूल देखे ना धूल डाली से ना हो जुदा