रूप तेरा ऐसा दर्पन में ना समाए - The Indic Lyrics Database

रूप तेरा ऐसा दर्पन में ना समाए

गीतकार - इन्दीवर | गायक - किशोर कुमार | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - एक बार मुस्कुरा दो | वर्ष - 1972

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हारेगा जब कोई बाजी
तभी तो होगी किसी का जीत
दोस्त यही दुनिया की रीत
तुम्हें मुबारक मन का मीत
रूप तेरा ऐसा दर्पन में ना समाए
खुश्बू तेरे तन की मधुबन में ना समाए
हो मुझे खुशी मिली इतनी के मन में ना समाए
पलक बंद कर लूँ, कहीं छलक ही ना जाए
मुझे ना मिली जो वो खुशी तू ने पाई
ऐ दोस्त मुबारक हो तुझे प्यार की शहनाई
दुआ मेरे दिल की दामन में ना समाए
तुझे प्यार मिले इतना जीवन में ना समाए
मीत मेरा छिन लिया तू ने छब दिखाके
सदा उसे रखना पलकों पे तू बिठा के
इतना सुख देना, जीवन में ना समाए
यूँ रस बरसाना, आँगन में ना समाए