रोम रोम में बसने वाले राम - The Indic Lyrics Database

रोम रोम में बसने वाले राम

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोसले | संगीत - रवि | फ़िल्म - नीलकमल | वर्ष - 1968

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हे रोम रोम में बसने वाले राम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगूँ
आस का बंधन तोड़ चुकी हूँ
तुझपर सबकुछ छोड़ चुकी हूँ
नाथ मेरे मैं क्यो कुछ सोचूँ, तू जाने तेरा काम
तेरे चरण की धूल जो पाए
वो कंकर हीरा हो जाए
भाग मेरे जो मैने पाया, इन चरणों में धाम
भेद तेरा कोई क्या पहचाने
जो तुझसा हो, वो तुझे जाने
तेरे किए को हम क्या देवें, भले बुरे का नाम