रघुकुल रीत सदा चली आई - The Indic Lyrics Database

रघुकुल रीत सदा चली आई

गीतकार - गोस्वामी तुलसीदास | गायक - जी एम दुर्रानी | संगीत - शंकर राव व्यास | फ़िल्म - भारत मिलाप | वर्ष - 1942

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रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दिये

रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दिये

अपनी क़िस्मत के दिये हम ख़ुद बुझा कर चल दिये

रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दिये

जिनसे मिलने की दुआ करते रहे हम उम्र भर

जब वो पहुँचे हम नज़र अपनी झुका कर चल दिये

रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दिये

वो तेरी क़िस्मत से बन जाता है दुश्मन तेरा दोस्त

आऽऽऽऽ

वो तेरी क़िस्मत से बन जाता है दुशम्न तेरा दोस्त

हम यहाँ हर दोस्त को दुश्मन बना कर चल दिये

देखने और सुनने वालों को पसंद आए ना आए

जो किसी दिल की कहानी हम सुना कर चल दिये

रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दिये