झननन-झननन बाज रही है मीठी झाँझो की झनकार - The Indic Lyrics Database

झननन-झननन बाज रही है मीठी झाँझो की झनकार

गीतकार - बालम | गायक - सहगान | संगीत - शंकर राव व्यास | फ़िल्म - भारत मिलाप | वर्ष - 1942

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एक फूल हंस के बाग़ में कलियाँ खिलाये जा

एक फूल हंस के बाग़ में कलियाँ खिलाये जा

शबनम के अश्क अपनी हँसी में छुपाये जा

जीने का ढंग सिखाये जा

काँटों की नोक पर खड़ा मुस्कुराये जा

जीने का ढंग सिखाये जा

भँवरे ने तेरे कानों में कुछ गुनगुना दिया

ये कह के राज़एज़िंदगी तुझको बता दिया

रोते हुए जहान में तू मुस्कुराये जा, तू मुस्कुराये जा

जीने का ढंग सिखाये जा

बुलबुल की सदाओं में भी पैग़ाम यही है

कोयल की पीहकू सुबह शाम यही है

ओ हँसते हुए फूल तेरे हुस्न पे सदक़े

पतझड़ में क्या करे कोई इतना बताये जा

जीने का ढंग सिखाये जा