रोका कई बार मैंने दिलकी उमंग को - The Indic Lyrics Database

रोका कई बार मैंने दिलकी उमंग को

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - मेरे सनम | वर्ष - 1965

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रोका कई बार मैंने दिलकी उमंग को
क्या करूँ मैं अपनी निगाहों की पसंद को
ओ जान-ए-जां
तू ही मेरे प्यार का जहान है ...
माना तेरे आंचल हाथों से अभी दूर है
बाहों में उठा लूँ ये अरमाँ जरूर है
मानो ना मानो दीवाना बेकसूर है
देखीं तेरी सूरत जो इतने करीब से
घिर गई मैं तो खयालों में अजीब से
दिल पे क्या बीती न पूछो ये गरीब से