रब मेरे अरज सुन मेरी शरण अब तेरी - The Indic Lyrics Database

रब मेरे अरज सुन मेरी शरण अब तेरी

गीतकार - सरस्वती कुमार 'दीपक' | गायक - मुकेश, शैलेष | संगीत - राम गांगुली | फ़िल्म - आग | वर्ष - 1948

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रस्मएउलफ़त किसी सूरत से निभाये न बने

रस्मएउलफ़त किसी सूरत से निभाये न बने

बात कुछ बिग्ड़ी है ऐसी के बनाये न बने

रस्मएउलफ़त किसी

हुस्न मजबूर इधर इश्क़ प्रेशान उधर

ऐसा कुछ उलझा हा दामन कि छुड़ाये न बने

रस्मएउलफ़त किसी

मेरा घर जल गया मजबूर हैं दुनिया वाले

है ये वो आग जो पानी से बुझाये न बने

रस्मएउलफ़त किसी

कया करूँ कया न करूँ दोनो तरेह मुशकिल है

आप जाये न बने उनको बुलाये न बने

रस्मएउलफ़त किसी