तुम मेरी हो, मेरे सिवा किसी की नहीं खाती हो कसम - The Indic Lyrics Database

तुम मेरी हो, मेरे सिवा किसी की नहीं खाती हो कसम

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफी - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - आन बान | वर्ष - 1972

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तुम मेरी हो, मेरे सिवा किसी की नहीं, खाती हो कसम
मैं तेरी हूँ, तेरे सिवा किसी की नहीं, खाती हूँ कसम
इल्तज़ा प्यार की इतनी है अगर मानो तुम
वास्ता मेरा तुम्हे दिल से लगा को मुझको
मदभरा आज का मौसम भी यही कहता है
अब तो इन रेशमी जुल्फों में छुपा लो मुझको
अब जुदा कोई तुम्हे मुझसे न कर पाएगा
ऐसा बाँधा है तुम्हे प्यार की इन बाहों से
प्यार के राहों में मिट जाऊंगा चाहत की कसम
पूछ लेना ये किसी रोज़ इन ही राहों से
मेरे वादे हैं ये पानी की लकीरें तो नहीं
गैर मुमकिन है मेरे दिल का फ़साना बदले
शाम के डूबते सूरज की गवाही ले लो
मैं ना बदलूंगी सनम चाहे ज़माना बदले