जवानी के दामन को रंगीं बना ले - The Indic Lyrics Database

जवानी के दामन को रंगीं बना ले

गीतकार - मजरूह | गायक - शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - शाहजहां | वर्ष - 1946

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झूम रहीं आ हा हा

रा : झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में

आ हा हा

भीगी हुई डालियाँ

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में

जी : जैसे तेरे

रा : आ हा हा

जैसे मेरे

जी : जैसे तेरे कानों में

रा : कानों में

जी : चन्दन की बालियाँ

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में

रा : आ हा हा

दो : भीगी हुई डालियाँ

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में

जी : कैसा सुहाना है बरखा का मौसम

रा : आ हा हा

जी : कैसा सुहाना है बरखा का मौसम

रा : नाच रहीं

आ हा हा

नाच रहीं दिल में

उमंगें छमाछम

जी : बच्चे ख़ुशी में बजाते हैं तालियाँ

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में

रा : आ हा हा

दो : भीगी हुई डालियाँ

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में

रा : दुल्हा मैं बागों का

सूरत हैं मेरी मधुर

फूल है मेरा ससुर

हाँ फूल है मेरा ससुर

और ये कलियाँ जो हैं

जी : और ये कलियाँ जो हैं

रा : और ये कलियाँ जो हैं

सब हैं मेरी सालियाँ

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में

आ हा हा

दो : भीगी हुई डालियाँ

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में

भीगी हुई डालियाँ

झूम रहीं

आ हा हा

झूम रहीं बाग़ों में