फिर वही दर्द है, फिर वही जिगर - The Indic Lyrics Database

फिर वही दर्द है, फिर वही जिगर

गीतकार - मजरूह | गायक - मन्ना डे | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - अपराधी कौन | वर्ष - 1957

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फिर वही दर्द है, फिर वही जिगर
फिर वही रात है, फिर वही है डर
हम समझे ग़म कर गया सफ़र
द्वार दिल का खुल गया
हाथी निकल गया
दुम रह गई मगर ।।स्थायी।।
हम तो समझे दुश्मनों का हाथ कट गया
दो दिलों के बीच से पहाड़ हट गया
ग़म के भारी दिन गये गुज़र ।।।।
तू दुल्हन बनेगी और चढ़ेगी रागिनी
आई प्यार के मधुर मिलन के चाँदनी
लेकिन थोड़ी रह गई क़सर ।।2।।
मैंने चाहा भूल जाऊँ क्यूँ रहूँ ख़राब
पर तेरा ये हुस्न जैसे डाल में गुलाब
थोड़ा-थोड़ा है वही असर ।।3।।