बाग में कली खिलि - The Indic Lyrics Database

बाग में कली खिलि

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - आशा भोंसले | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - चांद और सूरज | वर्ष - 1965

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बाग़ में कली खिली बगिया महकी पर हाय रे
अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिची बहकी-बहकी और बेवजह
घड़ी घड़ी ये दिल घबराया हाय रे
क्यों न आया, क्यों न आया, क्यों न आयाबैठे हैं हम तो अरमाँ जगाये
सीने में लाखों तूफ़ाँ छुपाये
मत पूछ मन को कैसे मनाया
बाग़ में ...सपने जो आये तड़पाके जाये
दिल की लगी को दहकाके जाये
मुश्किल से हम ने हर दिन बिताया
बाग़ में ...इक मीठी अगनी में जलता है तन-मन
बात और बिगड़ी आया जो सावन
बचपन गँवाके मैं ने सब कुछ गँवाया
बाग़ में ...