झूठ का दीपक कभी न जलता - The Indic Lyrics Database

झूठ का दीपक कभी न जलता

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - रफी | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - गेस्ट हाउस | वर्ष - 1959

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झूठ का दीपक कभी न जलता सच की ज्योत अमर है
तेरे मन में खोट नहीं तो तुझको किसका डर है
साँच को आँच नहीं प्यारे फिर हिम्मत क्यों हारे
सदा सच बोल अरे इनसान कि सच को ही कहते हैं भगवान
साँच को आँच
पर्वत को ना हटते देखा दरिया को ना रुकते
जो सच्चे हैं उनको हमने कभी ना देखा झुकते
तू भी सच का रख ले मान कि सच को ही कहते हैं भगवान
साँच को आँच
वो ही सुख पाते हैं जग में आए जिन्हें दुख सहना
सीख ले तू फूलों से काँटों में भी हँसते रहना
सच्चा रस्ता तू पहचान कि सच को ही कहते हैं भगवान
साँच को आँच
रात हो कितनी लम्बी फिर भी सूरज तो आएगा
आखिर जीत तो होगी सच की झूठ न फल पाएगा
कह गए बात ये लोग महान कि सच को ही कहते हैं भगवान
साँच को आँच