झूम-झूम के दो दीवाने गाते जाएँ गली-गली - The Indic Lyrics Database

झूम-झूम के दो दीवाने गाते जाएँ गली-गली

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफी, लक्ष्मी शंकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - मस्ताना: | वर्ष - 1954

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झूम-झूम के दो दीवाने गाते जाएँ गली-गली
अपनी धुन में मस्ती का पैग़ाम सुनाएँ गली-गली
( दुनिया वालों ) ये दुनिया है बस्ती किसके बाप की
आज अगर है कल ना होगी यहाँ ज़रूरत आप की
झूम-झूम के
ना जाने ये मूरख दुनिया पैसे की क्यों दास है
चार रोटियाँ एक लंगोटी बाक़ी सब बक़वास है
झूम-झूम के
आग पेट की क्या-क्या माँगे रोटी के दो टुकड़े
बड़े लोग फिर क्यों करते नोटों के सौ टुकड़े
दीवाने को मस्ताने को बात ये दिल की कहने दो
महलों वालों महल के नीचे कुटिया को भी रहने दो
झूम-झूम के