आया मज़ा अब बरसात का परदेसी मुझे तू लट गया - The Indic Lyrics Database

आया मज़ा अब बरसात का परदेसी मुझे तू लट गया

गीतकार - समीर | गायक - अलका याज्ञनिक, बाबुल सुप्रियो | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - अंदाज | वर्ष - 2003

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अ : ( आएगा मज़ा अब बरसात का
तेरी-मेरी दिलकश मुलाक़ात का ) -२
मैने तो सम्भाले रखा था -२
तूने देखा जो पत्ता छूट गया
यूँ अँखियाँ मिलाके अँखियों से -२
परदेसी मुझे तू लूट गया
आ आ आ आबा : इक भीगी हसीना क्या कहना
यौवन का नगीना क्या कहना
सावन का महीना क्या कहना
बारिश में पसीना क्या कहना
अ : मेरे होंठों पे ये अंगूर का जो पानी है
मेरे महबूब तेरे प्यास की कहानी है
जब घटाओं से बूँद ज़ोर से बरसती है
तुझसे मिलने को तेरी जान-ए-मन तरसती है
अन्दाज़ जो देखा ज़ालिम का -२
सब्र का बाँध मेरी टूट गया
यूँ अँखियाँ मिलाके अँखियों से -२
परदेसी मुझे तू लूट गयाबा : नज़रों में छुपा ले देर न कर
ये दूरी मिटा ले देर न कर
अब दिल में बसा ले देर न कर
सीने से लगा ले देर न कर
अ : बड़ी बेचैन हूँ मेरी जान मैं कल-परसों से
हाँ मुझे इन्तज़ार इस दिन का बरसों से
अब जो रोकेगा तो मैं हद से ग़ुज़र जाऊँगी
और तड़पाएगा दिलदार तो मर जाऊँगी
रह जाएँगे प्यासे हम दोनों -२
ये मौसम जो हम से रूठ गया
मैने तो सम्भाले रखा था -२
तूने देखा जो पत्ता छूट गया
दो : यूँ अँखियाँ मिलाके अँखियों से -२
अ : परदेसी मुझे तू लूट गया
आ आ आ आयूँ अँखियाँ मिलाके अँखियों से
परदेसी मुझे तू लूट गया