देख तो दिल के जान से उठता हैं - The Indic Lyrics Database

देख तो दिल के जान से उठता हैं

गीतकार - मीर तकी मिरो | गायक - मेहदी हसन | संगीत - मेहदी हसन | फ़िल्म - मेहदी हसन की बेहतरीन ग़ज़लें (गैर फ़िल्म) | वर्ष - 1985

View in Roman कब ये तुझ नातुवाँ से उठता है
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देख तो दिल के जाँ से उठता है
ये धुवाँ सा कहाँ से उठता हैगोर किस दिलजले की है ये फ़लक़
शोला एक सुबह याँ से उठता हैबैठने कौन दे है फिर उसको
जो तेरे आस्ताँ से उठता हैयूँ उठे आह उस गली से हम
जैसे कोई जहाँ से उठता हैसुध ले घर की भी शोला-ए-आवाज़
दूद कुछ आशियाँ से उठता हैइश्क़ एक 'मीर' भारी पत्थर है
कब ये तुझ नातुवाँ से उठता है