जनम-जनम का दुखिया प्राणी - The Indic Lyrics Database

जनम-जनम का दुखिया प्राणी

गीतकार - स्वामी रामानंदी | गायक - सहगल | संगीत - NA | फ़िल्म - तदबीर | वर्ष - 1945

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झूलना डला दे

झूलना डला दे

मोरे सैयाँ को बुला दे, ओ ननद जी

सावन की रुत आई

झूलना डला दे

मोरे सैयाँ को बुला दे, ओ ननद जी

सावन की रुत आई

लो जल बरसाने आईं घटायें काली

तुम झूठी बोलीं, ऐसे में तो बोलूँ

ओ अरी ओ री ननन्दिया

मेरा बिखराबिखरा बाग, नहीं घर माली

बिरहन देती दुहाई

झूलना डला दे

मोरे सैयाँ को बुला दे, ओ ननद जी

सावन की रुत आई

बेदर्दों से प्रीत लगा के

मैं पछताई हो मैं पछताई

दिन ने चैन गँवाया

आँख ने निंदिया गँवाई, हा निंदिया गँवाई

ओ अरे अरे ननदिया

इक बार उन्हें मिला दे भला हो तेरा

निननित तुम्हें मिले न दोया मेरा

झूलना डला दे

मोरे सैयाँ को बुला दे, ओ ननद जी

सावन की रुत आई