जलने के सिवा और क्या है यहाँ - The Indic Lyrics Database

जलने के सिवा और क्या है यहाँ

गीतकार - जी एस नेपाली | गायक - सुरैया | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - गजरे | वर्ष - 1948

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झोली भर तारे ला दे रे

झोली भर तारे ला दे रे

आँखमिचौली खेलूँगी

फैले हैं गगन के आँगन में

मुस्कात हैं मन ही मन में

जो तोड़ के तारे ला दे रे

उसको मनमन्दिर में ले लूँगी

झोली भर तारे

वो चन्दा के मतवाले हैं

आकाश के रहने वाले हैं

इन प्यारीप्यारी जोतों से

मैं दिल की जोती ले लूँगी

झोली भर तारे