गोरी तेरा गाँव बडा प्यारा, मैं तो गया मारा - The Indic Lyrics Database

गोरी तेरा गाँव बडा प्यारा, मैं तो गया मारा

गीतकार - रवींद्र जैन | गायक - येसुदास | संगीत - रवींद्र जैन | फ़िल्म - चितचोर | वर्ष - 1976

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गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा
मैं तो गया मारा, आ के यहाँ रे
उस पर रूप तेरा सादा,
चंद्रमा ज्यों आधा, आधा जवां रे
जी करता है मोर के पाँव में पायलियाँ पहना दूँ
कुहू-कुहू गाती कोयलियाँ को फूलों का गहना दूँ
यहीं घर अपना बनाने को पंछी करे देखो तिनके जमा रे
रंग-बिरंगे फूल खिले हैं, लोग भी फूलों जैसे
आ जाये एकबार यहाँ जो, जायेगा फिर कैसे ?
झर-झर झरते हुए झरने, मन को लगे हरने, ऐसा कहाँ रे ?
परदेसी अंजान को ऐसे कोई नहीं अपनाता
तुम लोगों से जुड़ गया जैसे जनम-जनम का नाता
अपनी धून में मगन डोले, लोग यहाँ बोले, दिल की जुबां रे