रात और दिन दिया जले - The Indic Lyrics Database

रात और दिन दिया जले

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मुकेश | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - रात और दिन | वर्ष - 1967

View in Roman

रात और दिन दिया जले
मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
जाने कहाँ है, ओ साथी
तू जो मिले जीवन उजियारा है
पग पग मन मेरा ठोकर खाए
चाँद सूरज भी राह ना दिखाए
ऐसा उजाला कोई मन में समाए
जिससे पिया का दर्शन मिल जाए
गहरा ये भेद कोई मुझ को बताए
किसने किया है मुझपर अन्याय
जिसका हो दीप वो सुख नहीं पाए
ज्योत दिये की दूजे घर को सजाए
खुद नहीं जानूँ ढूँढे किसको नज़र
कौन दिशा है मेरे मन की डगर
कितना अजब ये दिल का सफ़र
नदिया में आए जाए जैसे लहर