जला पतंग तो - The Indic Lyrics Database

जला पतंग तो

गीतकार - वाली साहब | गायक - खुर्शीद | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - मुमताज़ महल/मुमताज़ी | वर्ष - 1944

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झनझन झननझनन बाजे दिल का सितार

झनझन झननझनन बाजे दिल का सितार

नाच रही

नाच रही है हवा में तितली झूम रहा संसार

झनझन झननझनन बाजे दिल का सितार

उड़उड़ कर मण्डलाये भँवरा

फूलों के गुन गाये भंवरा

ओ हो हो कैसी छाई बहार

झनझन झननझनन बाजे दिल का सितार

मस्त हवा के चलते झोँके

कलियाँ हँसते चुपकेचुपके

रात की बिन्दिया माथे पे चमके

गले में चन्दनहार

झनझन झननझनन बाजे दिल का सितार

मेरे पेंगें सबसे निराली

झूला झूलूँ डालीडाली छाई है हरियाली

मन ही मन में इठलाती मैं

ख़ुशी के मारे इतराती मैं

ओ हो हो फूलों को कर के प्यार

झनझन झननझनन बाजे दिल का सितार