उफ कितानी थंडी है ये रुत सुलगे है तनाहाई मेरी - The Indic Lyrics Database

उफ कितानी थंडी है ये रुत सुलगे है तनाहाई मेरी

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर, किशोर कुमार | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - तीन देवियां | वर्ष - 1965

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ल : ( उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
कि : सुलग़े है तनहाई मेरी
सन सन सन जलता है बदन
ल : काँपे है अंगड़ाई मेरी ) -२ल : तुमपे भी है भारी
वो है कौन ऐसी चिंगारी
ओ तुमपे भी है भारी
वो है कौन ऐसी चिंगारी
कि : है कोई इन आँखों में
एक तुम जैसी ख़ाबों की परील : उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
कि : सुलग़े है तनहाई मेरी
सन सन सन जलता है बदन
ल : काँपे है अंगड़ाई मेरीकि :ये तनहा मौसम मेहताबी
ये जलती-बुझती बेख़ाबी
ओ ये तनहा मौसम मेहताबी
ये जलती-बुझती बेख़ाबी
ल : महलों (?) में थर्रती है
एक बेताबी अरमाँ में भरीउफ़ कितनी ठण्डी है ये रुतऐसे हैं दिल पे कुछ साये
धड़कन भी जल के जम जाये
ओ ऐसे हैं दिल पे कुछ साये
धड़कन भी जल के जम जाये
कि : काँपो तुम और सुलग़ें हम
ये है चाहत की जादूगरी
ओफ़ल : उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
कि : सुलग़े है तनहाई मेरी
सन सन सन जलता है बदन
ल : काँपे है अंगड़ाई मेरी