गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं - The Indic Lyrics Database

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं

गीतकार - आरज़ू लखनवी | गायक - मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - अनीता | वर्ष - 1967

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गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
देख के जिनको नींद उड़ जाए वो मतवाली आँखें हैं
मुँह से पल्ला क्या सरकना
इस बादल में बिजली है
दूर ही रहना इनसे क़यामत
ढ़ानेवाली आँखें हैं
बे जिनके अँधेर हैं सबकुछ
ऐसी बात है इनमें क्या
आँखें आँखें सब हैं बराबर
कौन निराली आँखें हैं
बे-देखे आराम नहीं है
देखें तो दिल का चैन गया
देखनेवाले यूँ कहते हैं
भोली भाली आँखें हैं