मेरी तकादिर कहां पर राम करे कहीं नैना ना उलजें - The Indic Lyrics Database

मेरी तकादिर कहां पर राम करे कहीं नैना ना उलजें

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - गुनाहों का देवता | वर्ष - 1967

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मेरी तक़दीर कहाँ पर मुझे ले आई है
सारी दुनिया मेरी उल्फ़त की तमाशाई है
इसलिए लाज का पर्दा है मेरे चेहरे पर
खुल गया राज़ तो इसमें तेरी रुसवाई हैराम करे कहीं नैना न उलझें -२
नैना जो उलझें तो मुश्किल से सुलझे
राम करे कहीं ...आए न जिस दिन घर साँवरिया पागल बनकर ढूँढे नजरिया
मोरी काया ऐसे तड़पे जैसे तड़पे जल बिन मछरिया
राम करे कहीं ...जिसके कारण सब कुछ छोड़ा उसने मेरे दिल को तोड़ा
हर तूफ़ाँ में साथ रहा वो आके किनारे मुखड़ा मोड़ा
राम करे कहीं ...