गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोंसले | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - ग़ज़ल | वर्ष - 1964
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अदा क़ातिल नज़र बर्क़-ए-बला
यूँ भी है और यूँ भी
बला
यूँ भी है और यूँ भी
मोहब्बत करने वालों की क़ज़ा
यूँ भी है और यूँ भी
क़ज़ा
यूँ भी है और यूँ भीआ
आ
( कभी चिलमन उठा देना
कभी चिलमन गिरा देना ) -२
कभी चिलमन गिरा देना
सितमगर नाज़नीनों की अदा
यूँ भी है और यूँ भी
अदा
यूँ भी है और यूँ भीआ
आ
( हमें चाहा तो क्यूँ चाहा
हमें भूले तो क्यूँ भूले ) -२
हमें भूले तो क्यूँ भूले -२
हाय
सज़ा हम क्यूँ न दे उनकी ख़ता
यूँ भी है और यूँ भी
( ख़ता
यूँ भी है और यूँ भी ) -२अदा क़ातिल नज़र बर्क़-ए-बला
यूँ भी है यूँ भी बला
यूँ भी है और यूँ भी