जब बादल घिर-घिर आएंगे - The Indic Lyrics Database

जब बादल घिर-घिर आएंगे

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - मुकेश, सुरैया | संगीत - नरेश भट्टाचार्य | फ़िल्म - डाक बंगला | वर्ष - 1947

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जले ना क्यों

जले ना क्यों परवाना

शमा दिखाकर हुस्न के जलवे

बना के जब दीवाना

जले ना क्यों परवाना

दिल की लगी का नाम है उल्फ़त

दिल की लगी का नाम उल्फ़त है

और उल्फ़त का है ये मतलब

चुपके चुपके धीरे धीरे

हँस हँस के जल जाना

जले ना क्यों परवाना

जले ना क्यों

जलना है तो फिर जल जाये, हो

जलना है तो फिर जल जाये

हुस्न के साँचे में ढल जाये

इश्क़ में दोनों एक है अब तो

जीना या मर जाना

जले न क्यों परवाना

शमा दीवाना

जले न क्यों परवाना