क़यामत आएगी एक रोज़ ज़ुल्फ़ोन का रंगीं साया है - The Indic Lyrics Database

क़यामत आएगी एक रोज़ ज़ुल्फ़ोन का रंगीं साया है

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - मुकेश | संगीत - गणेश | फ़िल्म - अंजाम | वर्ष - 1968

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क़यामत आएगी एक रोज़ज़ुल्फ़ों का रंगीं साया है तौबा ख़ुदाया
तुम्हारी ये जवानी सलामत रहे
ज़ुल्फ़ों का रंगीं साया ...भीगी फ़िज़ाएं देखो चंचल हवाएं देखो
दिल की सदा है यही चुप ना रहो
जागे हैं अरमां मेरे मुखड़े पे गेसू तेरे
दिन है कि रात बोलो कुछ तो कहो
बोलो न बोलो हमसे कहेंगे ये तुमसे
तुम्हारी ये जवानी ...दुनिया में होंगे कई दिल को चुराने वाले
तुमसा न देखा कोई माह-ए-नक़ाब
दुनिया बनाने वाला तुझको बना के गोरी
रूप बनाना हाय भूल गया
तुम्हारा है ज़माना बना दो दीवाना
तुम्हारी ये जवानी ...हाय ये अदाएं तेरी तुझसे बहारें मेरी
ग़ुल भी पुकारे तुझे बाद-ए-सबा
बिगड़ी बनाना सीखो दिल को लगाना सीखो
ज़ुल्फ़ें बनाना छोड़ो जान-ए-वफ़ा
लबों पे सदा आएं हमारी दुआएं
तुम्हारी ये जवानी ...