रात की दलदल है गाढ़ी रे गाढ़ी रे - The Indic Lyrics Database

रात की दलदल है गाढ़ी रे गाढ़ी रे

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - सुखविंदर सिंह | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - 1947 पृथ्वी | वर्ष - -1999

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रहते हो अब तो हर घड़ी मेरी नज़र के सामने

रहते हो अब तो हर घड़ी मेरी नज़र के सामने

मेरी नज़र के सामने

मु : आँखों से दिल में आ गए दिल से नज़र के सामने

दिल से नज़र के सामने

दो : रहते हो अब तो

मु : फूलों में हँस रहे हो क्या

गी : ख़ुश्बू में बस रहे हो क्या

मु : आँखें बिछा रहे हैं हम

गी : आओ नज़र के सामने

मु : आओ नज़र के

दो : आओ नज़र के सामने

रहते हो अब तो

मु : आईने में चिराग़ में

गी : तारों में महताब में

मु : किसकिस तरह से आए हो

गी : मेरी नज़र के सामने

मु : मेरी नज़र के सामने

दो : मेरी नज़र के सामने

रहते हो अब तो

गी : नज़रों में मेरी आईना

मु : आईने पे नज़र मेरी

गी : दोनों नज़र से दूरदूर

दो : दोनों नज़र से दूरदूर

दोनों नज़र के सामने

रहते हो अब तो