देख लूँ जो नजर भर के - The Indic Lyrics Database

देख लूँ जो नजर भर के

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - आशा भोसले | संगीत - भूपेन हजारिका | फ़िल्म - दर्मियान | वर्ष - 1997

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देख लूँ जो नजर भर के
घाट के तुम रहो ना घर के
नशीले हैं नैना गुलाबी हैं डोरे
पिए है कभी तुमने ऐसे कटोरे
देख लूँ जो नज़र भर के
यहाँ शायर भी आते रहते हैं
मेरे चेहरे को चाँद कहते हैं
मीठा चेहरा होंठ रसीले
दूर से तरसे छैल छबीले
खिड़की नीचे शाम सवेरे
करते हैं वो सौ-सौ फ़ेरे
सारी दुनिया है मुझपे दीवानी
मैं हूँ सारे दिलों की रानी
नशीले हैं नैना गुलाबी हैं डोरे
पिए है कभी तुमने ऐसे कटोरे
देख लूँ जो नजर भर के
घाट के तुम रहो ना घर के
जिसको देखो वो आहें भरता है
शहर का शहर मुझपे मरता है
मुझपे कितने देते है जाँ
कल तो चल गई चौक में छुरियां
ना मैं उसकी ना मैं इसकी
सब ये सोचे मैं हूँ किसकी
एक तुम ही रहे अन्जाने
मुझको तुम ही नहीं पहचाने
नशीले हैं नैना गुलाबी हैं डोरे
पिए है कभी तुमने ऐसे कटोरे
देख लूँ जो नजर भर के
घाट के तुम रहो ना घर के