जरा सी और पिल्ला दो भंग ओ जय बम भोला - The Indic Lyrics Database

जरा सी और पिल्ला दो भंग ओ जय बम भोला

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - रवि | फ़िल्म - काजल | वर्ष - 1965

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र : ( ज़रा सी और पिला दो भंग
मैं आया देख के ऐसा रंग
के दिल मेरा डोला
ओ जै बम-भोला ) -२आ : मेरी तो अकल हुई है दंग
ये कैसा बदला तेरा ढंग
के तू था भोलार : ओ जै बम-भोलामुझे समझ न तू बैरागी
मैने आज तपस्या त्यागी
ऊं हूँ ऊं हूँ
आ : ए हे ए हे
र : मुझे समझ न तू बैरागी
मैने आज तपस्या त्यागी
तेरे रूप का झटका खा के
मेरी सोई जवानी जागी -२
आ : जा हट जा परे मलंग
करे क्यूँ बीच सभी के तंग
के तू था भोलार : ओ जै बम-भोलार : ज़रा सी और पिला दो भंग
मैं आया देख के ऐसा रंग
के दिल मेरा डोला
ओ जै बम-भोलार : मेरे दिल से निकले हाय
गोरी क्यूँ नखरे दिखलाये
एं हूँ एं हूँ
आ : ए हे ए हे
र : एं हूँ एं हूँ
आ : जा जा
र : मेरे दिल से निकले हाय
गोरी क्यूँ नखरे दिखलाये
ज़रा हँस के गले से लग जा
तुझे क्वारा प्यार बुलाये -२
आ : तेरे तन पर चड़ गया ज़ंग
यूं ही अब क्यूँ छड़काये अंग
के तू था भोलार : ओ जै बम-भोलार : ज़रा सी और पिला दो भंग
मैं आया देख के ऐसा रंग
के दिल मेरा डोला
ओ जै बम-भोला