रात अकेली है बुझ गये दिये - The Indic Lyrics Database

रात अकेली है बुझ गये दिये

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - जेवल थीफ | वर्ष - 1967

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रात अकेली है बुझ गये दिये
आ के मेरे पास कानो में मेरे
जो भी चाहे कहिये, रात अकेली है ...
तुम आज मेरे लिये रुक जाओ
रुत भी है फुरसत भी है
तुम्हें ना हो ना सही मुझे तुमसे मोहब्बत है
मोहब्बत की इज़ाज़त है, तो चुप क्यों रहिये
जो भी चाहे कहिये, रात अकेली है ...
सवाल बनी हुई दबी दबी उलझन सीनो में है
जवाब देना था तो डूबे हो पसीनों में
ठनी है दो हसीनों में तो चुप क्यों रहिये
जो भी चाहे कहिये, रात अकेली है ...